27 जनवरी 2021

भारतीय सिनेमा

 


कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है समाज की संस्कृति को बताने का एक माध्यम होता है समाज में बदलाव लाने का काम करता है वास्तव में सिनेमा वही है जो समाज को आईना दिखाएं और उसकी विविधता और संस्कृति को बनाए रखें और समाज के हर तबके के लोगों को वैसे ही चित्र करें जैसे में होते हैं ऐसे में सिनेमा ऐसा काम तभी कर सकती है जब वहां की भाषा ज़ी सिनेमा का भागबन करके उन लोगों तक पहुंच सके इसलिए क्षेत्रीय सिनेमा के दौर में लगभग हर भाषा में फिल्में बनाई जा रही इसी तरीके से भोजपुरी फिल्म उत्तर पूर्वी और बिहार के लोगों के लिए उनके रहन-सहन खानपान और उस समाज की स्थिति संस्कृति पेश कर पूरे देश में ही नहीं पूरे विश्व में लोगों के सामने एक संदेश भेज सकती है इन सब चीजों को ध्यान में रखें तो ऐसे में सिनेमा पर शोध करना तब और जरूरी हो जाता है जब सिनेमा सामाजिक बदलाव का एक माध्यम बन जाती है आज के दौर में खासकर तवा और जब तकनीक का विकास दिन प्रतिदिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हूं और उसके माध्यम से समाज की सकारात्मक और नकारात्मक छवि दोनों बनाई जा रही इसलिए सिनेमा पर शोध करना तब और जरूरी हो जाता है जब सिनेमा ही सामाजिक बदलाव के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य कर रही हो ऐसे में भोजपुरी सिनेमा को हम ध्यान में रखकर की उसकी लोकप्रियता की बात करते हैं और जानते हैं क्या कि उसकी लोकप्रियता की अन्य पैमानों में से एक पैमाना गाने का क्या महत्व है जैसा कि पता है कि गाने मनोरंजन का साधन तो होती है खासकर गाने को अगर फिल्में रख कर के सुना जाए तो वह थाने में ही तो वह गाने नहीं फिल्म की पूरी कहानी को एक तरीके से बयां करने की कोशिश करते हैं मनोरंजन के साथ-साथ गाने लोकप्रिय भी होते हैं तो सिनेमा भी लोकप्रिय होने की यादें संभावनाएं बनती है

फ़िल्म एक सामाजिक आईना हैं

समाज में फैली कुरीतियों को रोकने के लिए किसी ना किसी को आगे आना पड़ता है। जरूरी नहीं वह नेता ही हो। अगर अभिनेता भी अपने अभिनय के माध्यम से लोगों को जागरूक करे तो वह बदलाव ला सकता है। 

समय-समय पर सामाजिक बदलाव के साथ मनोरंजन के लिए फिल्में बनती रही हैं। किसी प्रकार का संदेश देने के लिए भी फिल्में बनाई जाती रही हैं।
अब तक हम बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों को याद करते रहे हैं। लेकिन अगर भारत में बात करें तो तेजी से लोकप्रिय हो रहे राज्य स्तरीय फिल्में या अलग-अलग भाषाई आधार पर बन रही फिल्में लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं। इसीलिए आजकल हम मराठी, हरियाणवी, पंजाबी, भोजपुरी आदि फिल्मों के नाम भी याद रखते हैं और उसे भी देख लेते हैं। ऐसा इसलिए सम्भव हो पाता है क्योंकि ज्यादातर ऐसी भाषाई फिल्मों को ग्लोबल स्तर पर लोग इसलिए देख लेते हैं क्योंकि उनके अनेक वर्जन बनाये जा रहे हैं। अगर साउथ इंडियन फ़िल्म है तो उसकी हिंदी में डब किया हुआ वर्जन भी लोगों के द्वारा देखा जाता है। यहां इसलिए इस पर चर्चा की जा रही हैं क्योंकि भाषा कहीं पर भी बाधा बनने ही नहीं पाती और केवल वहां की चीजों खासकर फिल्म के अभिनय, थीम, कहानी से लोग परिचित होना चाहते हैं। दिनोंदिन इन फिल्मों की  बढ़ती लोकप्रियता से इनका भी बड़े स्तर पर उद्द्योग स्थापित होना बड़ी बात नहीं है।
हम इन्हीं में से एक भोजपुरी फ़िल्म की बात करने जा रहे हैं।


भोजपुरी सिनेमा अश्लीलता का सिनेमा क्यो कहा जाता हैं

 भोजपुरी सिनेमा यानी फूहड़ सिनेमा, द्विअर्थी संवादों वाला सिनेमा, मसालेदार सिनेमा, परिवार के साथ बैठ कर न देखा जाने वाला सिनेमा…! पिछले कुछ समय में भोजपुरी फिल्मों की भले ही यह छवि बनी हो लेकिन सच यह है कि कोई वक्त था जब भोजपुरी सिनेमा बेहद समृद्ध और संपन्न था। बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि भोजपुरी सिनेमा की शुरूआत का श्रेय भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के उस आह्वान को जाता है जो उन्होंने मुंबई फिल्मोद्योग के सामने किया था और जिससे प्रेरित होकर हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता नजीर हुसैन ने पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ैइबो बनाने जैसा भगीरथ काम अंजाम दिया था। बीते छह दशकों में भोजपुरी सिनेमा में किस किस्म के बदलाव आए, किन संकरे, पथरीले और अंधेरे रास्तों से होकर यह सिनेमा गुजरा, किस तरह से इसकी तरक्की हुई और फिर कैसे यह पतन की राह पर चल पड़ा, कैसे बाजार ने इस सिनेमा में अपनी घुसपैठ की और भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल न करने से इस पर कैसा असर पड़ा। ऐसे ढेरों विषयों को अपने में समेटे भोजपुरी फिल्मों का सफरनामा नाम की यह किताब न सिर्फ पाठकों की जिज्ञासा को शांत करती है बल्कि यह उम्मीद भी जगाती है कि यदि भोजपुरी सिनेमा से जुड़े लोग जरा-सा संभल जाएं तो एक बार फिर से इस सिनेमा के अच्छे दिन आ सकते हैं। दिल्ली के प्रभात प्रकाशन से आई इस किताब में लेखक रविराज पटेल का इसे लिखने के लिए किया गया शोध और संघर्ष साफ झलकता है और यही वजह है कि भोजपुरी सिनेमा के अब तक के सफर व मौजूदा दशा पर यह एक उल्लेखनीय दस्तावेज बन कर सामने आती है।

 

 

 

 

 

दीपक दुआ

 

लेखक वरिष्ठ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। साल 1993 से फिल्मपत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। सिनेमा विषयक लेखसाक्षात्कारसमीक्षाएं व रिपोर्ताजलिखने वाले दीपक कई समाचार पत्रोंपत्रिकाओं के लिए नियमित लिखते हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।

मरद अभी बच्चा बा, आइटम सॉन्ग


मरद अभी बच्चा बा, आइटम सॉन्ग 
दुल्हिन गंगा पार के इस फ़िल्म का यह गाना यूट्यूब पर 100 मिलियन से अधिक पर देखा जा चुका हैं गाने में आम्रपाली दुबे और खेसारी लाल यादव मुख्य भूमिका में हैं गीत को खेसारी लाल यादव और प्रियंका सिंह में आवाज दिया हैं गीत को पवन पांडे और संगीत को मधुकर आन्नद ने दिया हैं । अगर बात करे ये गाना फ़िल्म में कितना जरूरी था तो ये गाना फ़िल्म के कहानी के हिसाब से इस गाने का कोई मोल फ़िल्म में नही था । बस दर्शक को फ़िल्म की तरफ आकर्षित करने के लिए इस गाने को फ़िल्म में डाल गया । गीत में आम्रपाली दुबे का बोल्ड अदाएं और खेसारी लाल का बम्पर डांस  फ़िल्म को लोकप्रिय बनने का काम करती हैं । फ़िल्म के रिलिक्स भी बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया । गीत के रिलिक्स की बात के तो गीत में सुहागिन औरत अपने पति को बच्चा बता रही हैं

फुलत देह तोहार झूलत जाता इ ना अच्छा बा,
फुलत देह तोहार झूलत जाता इ ना अच्छा बा,
का बताई हो..( है बताई हो...)
कबो  सेजिया पे मारे नही गच्चा,
मरद अभी बच्चा बा ,
कबो सेजिया पे मारे नही गच्चा
मरद अभी बच्चा बा...
चाईली आग जैसे तावा मारता जवानी,
सुना जाईबु तू ठंढाई बिना बर्फ के पानी ये रानी,-2
दूध होर्लिक्स पियाव रोज रोज यदि कच्चा बा,- 2
कईसे कही हो...
कबो  सेजिया पे मारे नही गच्चा,
मरद अभी बच्चा बा ,
कबो सेजिया पे मारे नही गच्चा
मरद अभी बच्चा बा...
गीत का संगीत बहुत ही लाजवब बनाया गया हैं जो फ़िल्म के इस गाने को और भी लोकप्रिय बनाती इस गाने को यूट्यूब पर पहले रिलीज किया गया गाना रिलीज होते 24 घण्टे के अंदर 8 मिलियन लोगो मे देखा जिसका प्रभाव फ़िल्म पर भी पड़ा और इस गाने ने फ़िल्म की लोकप्रियता को काफी हद तक बढ़ाया हैं।

तुमसे कुछ कहना हैं


तुमसे कुछ कहना चाहता हूं अंदर ही अंदर टूटता जा रहा हूँ । तुम हमेशा मेरे ऊपर गुस्सा करती हो शायद आज उसी डर से तुमसे कुछ कह नही पा रहा हूँ  कि कंही तुम फिर गुस्सा ना हो जाओ । मुझे नही पता मैं गलत हूँ या तुम । plz मुझसे अच्छे से बात करो मैं बीमार होता चला जा रहा हूँ और तुमसे दूर भी । आज कल तो जब भी बेचैनी और दर्द होता हैं तो रो लेता हूँ थोड़ा समय के लिए आराम मिल जाता हैं । तुम मुझे क्यो नही समझ पा रही हो । 

29 अप्रैल 2019

माँ तुझे सलाम भोजपुरी फ़िल्म

यशी फिल्म्स प्रा.लि. के बैनर तले बनी फिल्म 'माँ तुझे सलाम' यह भोजपुरी फ़िल्म देश भक्ति फ़िल्म के साथ सामाजिक सन्देश देने वाली फिल्म हैं ऐसी फिल्म बनने से हिंदू मुस्लिम में एकता का संचार होता है। फ़िल्म में जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा हम कह सकते हैं ये फ़िल्म कर्मशियल फ़िल्म हैं । और इसकी कहानी बिल्कुल अलग और नई हैं जिसे पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखा जा सकता हैं
माँ तुझे सलाम फ़िल्म के निर्माता अभय सिन्हा हैं, जबकि निर्देशक असलम शेख हैं और संगीतकार अविनाश झा घुघुरु ने दिया हैं । पवन सिंह फल्स फ़िल्म में बजरंगी अली खान की भूमिका और पूजा शर्मा / अयात खान के रूप में मधु शर्मा और साथ में अभय प्रताब के रूप में सुरेंद्र पाल तथा गीता के रूप में अक्षरा सिंग मुख्य भूमिका में नजर आयी । फ़िल्म की कहानी बहुत अलग हैं फ़िल्म में एक्शन से साथ रोमांस कॉमेडी भी देखने को मिलेगा । बजंरगी नाम हिन्दू पर धर्म से मुस्लिम 26/11 ताज अटैक मुबई बम्ब अटैक का बदला लेने पाकिस्तान पहुच जाता हैं और पाकिस्तान के आतंकवादियों को खत्म करता हैं फ़िल्म में दो गाने सुपर डुपर हिट सांग हैं औऱ जहाँ फ़िल्म में एक्शन से दर्शक का मन अशान्त हो जाता हैं वही फ़िल्म के गाने मन को शांत करने की कोशिश करते हैं ।

जियरवा करे धुकुर धुकुर- दुल्हिन गंगा पार के

जियारवा करे धुकुर धुकुर यह दुल्हिन गंगा पार के का दूसरा हिट सांग हैं इस गाने को आवाज खेसारीलाल यादव और प्रियंका सिंग ने दिया हैं गाने के बोल आजाद सिंह ने लिखे हैं।
यह गाना एक दिन में 2.3 लाख लोगो मे देखा जो फ़िल्म के लिए बहुत ही अच्छी बात हैं और इसका प्रभाव फ़िल्म भी दिखा यह गाना फ़िल्म के कहानी के हिसाब से सही और इस गाने जी डिमांड भी थी। अब गाने की बात करे तो गाने का म्यूजिक लाजवाब हैं जिसे सुन कर दर्शक पागलो की नाचने पर मजबूर हो जाएंगे । गाने में खेसारी लाल और काजल राघवानी का डांस दर्शको को सिनेमा घरों तक खींच के ले आती हैं कह सकते हैं कि फ़िल्म को हिट करने में इस गाने का बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही हैं ।गाने के रिलिक्स आजाद सिंह ने लिखा और बहुत ही सुंदर लव सांग हैं गाने का रिलिक्स देखने से लगता हैं ये लव सॉन्ग हैं
केसिया कारी खोल के,
हाय हेलो बोल के ,
गर्दा तू उड़ा देहलू,
हिरानी जईसे डोल के...-2
गोरी से जईसे जईसे आवेलु नियरवा..,
जियारवा करे,
धुकुर धुकुर धुकर धुकर धुकुर धुकुर-2
ये जाना उतना ही साफ सुथरा बनाया गया जितना इस गाने के रिलिक्स लिखे गए हैं आप अपने परिवार के साथ ये गाना देख सकते अधिकार भोजपुरी गाने अश्लीलता का सहारा लेते हैं गाने को चलाने के लिए लेकिन ये गाना बहुत ही साफ सुथरा गाना हैं एक ये भी वजह हैं फ़िल्म का गाना अश्लील नही हैं इस लिए गाना फ़िल्म को और भी लोकप्रिय बनाती हैं क्योंकि फ़िल्म पारिवारिक फ़िल्म हैं ये गाना फ़िल्म के महत्व को बढ़ती हैं ।

28 अप्रैल 2019

मरद अभी बच्चा बा - दुलहिन गंगा पार के

मरद अभी बच्चा बा, आइटम सॉन्ग दुल्हिन गंगा पार के इस फ़िल्म का यह गाना यूट्यूब पर 100 मिलियन से अधिक पर देखा जा चुका हैं गाने में आम्रपाली दुबे और खेसारी लाल यादव मुख्य भूमिका में हैं गीत को खेसारी लाल यादव और प्रियंका सिंह में आवाज दिया हैं गीत को पवन पांडे और संगीत को मधुकर आन्नद ने दिया हैं । अगर बात करे ये गाना फ़िल्म में कितना जरूरी था तो ये गाना फ़िल्म के कहानी के हिसाब से इस गाने का कोई मोल फ़िल्म में नही था । बस दर्शक को फ़िल्म की तरफ आकर्षित करने के लिए इस गाने को फ़िल्म में डाल गया । गीत में आम्रपाली दुबे का बोल्ड अदाएं और खेसारी लाल का बम्पर डांस  फ़िल्म को लोकप्रिय बनने का काम करती हैं । फ़िल्म के रिलिक्स भी बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया । गीत के रिलिक्स की बात के तो गीत में सुहागिन औरत अपने पति को बच्चा बता रही हैं
फुलत देह तोहार झूलत जाता इ ना अच्छा बा,
फुलत देह तोहार झूलत जाता इ ना अच्छा बा,
का बताई हो..( है बताई हो...)
कबो  सेजिया पे मारे नही गच्चा,
मरद अभी बच्चा बा ,
कबो सेजिया पे मारे नही गच्चा
मरद अभी बच्चा बा...
चाईली आग जैसे तावा मारता जवानी,
सुना जाईबु तू ठंढाई बिना बर्फ के पानी ये रानी,-2
दूध होर्लिक्स पियाव रोज रोज यदि कच्चा बा,- 2
कईसे कही हो...
कबो  सेजिया पे मारे नही गच्चा,
मरद अभी बच्चा बा ,
कबो सेजिया पे मारे नही गच्चा
मरद अभी बच्चा बा...
गीत का संगीत बहुत ही लाजवब बनाया गया हैं जो फ़िल्म के इस गाने को और भी लोकप्रिय बनाती इस गाने को यूट्यूब पर पहले रिलीज किया गया गाना रिलीज होते 24 घण्टे के अंदर 8 मिलियन लोगो मे देखा जिसका प्रभाव फ़िल्म पर भी पड़ा और इस गाने ने फ़िल्म की लोकप्रियता को काफी हद तक बढ़ाया हैं।

दुल्हिन गंगा पार के भोजपुरी फ़िल्म

दुल्हिन गंगा पार के यह फ़िल्म एक पारिवारिक फ़िल्म हैं जिसे हम साथ में बैठ कर देख सकते हैं ये फ़िल्म यशी म्यूजिक के ऑफिशयल अकाउंट पर अपलोड किया गया हैं। फ़िल्म के निर्देशक और लेखक असलम शेख की निर्देशन में बनी फिल्म दुल्हिन गंगा पार  फ़िल्म में भोजपुरिया संस्कार देखने को मिलता हैं । फ़िल्म परिवारिक होने के नाते घर और समाज के रीत - रिवाज  को बहुत अच्छे और व्यस्थित ढंग से प्रस्तुत किया गया हैं। फ़िल्म में एक्शन के साथ कॉमेडी का भी भरपूर उपयोग किया गया हैं कही - कही इमोशनल भी करती हैं फ़िल्म फ़िल्म के गाने लगभग सभी गाने हिट हैं । फ़िल्म की बात करे तो ये फ़िल्म एक छोटी बच्ची कृति (कृति यादव) के ऊपर बना गया हैं कृति के बचपन मे ही  माँ और पापा के मौत हो जाती हैं कृति अपने चाचा कृष्णा (खेसारी लाल यादव)  को ही पापा मानती हैं  खेसारी लाल अपने एक्शन और गानों की वजह छाए रहे । कृति के दिल मे छेद रहता हैं
कृष्णा नही चाहता उसे कोई दिक्कत हो इसी लिए उसकी हर मनोकामना पूरा करता हैं लेकिन एक दिन कृति अपने मम्मी के बारे में पूछती हैं तो कृष्णा उसे एक कहानी सुना देता हैं  और  कि तुम्हारी मम्मी गंगा के धाम गयी हैं जल्दी आ जायेगी । कृति गंगा के तीरे रोज अपनी माँ का इंतजार करती एक दिन गंगा में एक औरत बह कर आती हैं राधा (काजल राघवानी) को ही कृति अपनी माँ समझ लेती हैं और उसे आने घर ले आती हैं कृष्णा और राधा की शादी को जाती हैं फ़िल्म में बीच - बीच में  गानों का आना लगा रहता हैं । फ़िल्म के विलन  अवधेश मिश्रा जो राघा के प्यार में पागल हैं वो राघा से शादी करता करना चाहता हैं । उसी के चलते फ़िल्म में एक्शन होता हैं । हर फिल्म की तरह इस फ़िल्म में भी हैप्पी एन्ड होता जाता हैं ।

फ़िल्म घर परिवार में होने वाला संस्कार को भी दिखया गया हैं कि बड़ो को किस तरह इज्जत देनी चाहिए ।

तर तर पसीना - डमरू

यह डमरू फ़िल्म का दूसरा सुपर डुपर हिट गाना हैं "तर तर पसीना " छूटता ये गाना डमरू फ़िल्म को काफी लोकप्रिय बनता हैं ये गाना जिस तरीके से फिल्माया हैं कोई भी बिना थिरके नही रह सकता हैं । गाने को स्वर दिया हैं खेसारीलाल यादव और ममता उपाध्याय ने और गाने को म्यूजिक फ़िल्म के निर्देशक रजनीश  मिश्रा ने दिया हैं और गाने को श्याम देहाती ने लिखा हैं यह गाना यूट्यूब पर अब कब 4 करोड़ 42 लाख 36 हजार 4 सौ 24 बार देखा जा चुका हैं इससे पता चलता हैं यह गाना फ़िल्म के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं और फ़िल्म को कितना लोकप्रिय बनाया हैं।
गाने की शुरुआत में खेसारी लाल  विश्वामित्र की तरह  तपस्या करते नजर आ रहे हैं तो वही एक्ट्रेस यशिका कपूर ,तो इस फ़िल्म में गौरी का किरदार निभा रही हैं , रंभा की तरह उनकी तपस्या भंग करने की कोशिश करती दिख रही हैं । फ़िल्म के इस गाने के लिरिक्स की बात करे तो श्याम देहाती जी बहुत ही सुसज्जित ढंग से लिखा हैं

         तावा के जईसन तवल देहिया में,
         लभ के लावा फुटेला हो,
         तावा के जईसन तवल देहिया में ,
         लभ के लावा फुटेला हो....
         सटेलू पास साँस करेला सर - सर
         तर तर पसीना ना छुटेला हो..
         सटेलू पास साँस करेला सर - सर
         तर तर पसीना ना छुटेला हो..
         सटेलू पास साँस करेला सर - सर
जितना सुंदर  गाने रिलिक्स हैं उतना ही सुंदर गाने का म्यूजिक भी बनाया गया गाने का म्यूजिक भी इस गाने को लोकप्रिय बनाता हैं । गाने में डांस और रोमांस दर्शक को अपनी तरफ आकर्षित करता हैं । गाने की क्वालिटी की बात की जाए तो लाइट और इफेक्ट के माध्यम से सजाया गया हैं । फ़िल्म रिलीज होने से पहले गाने को यूट्यूब पर रिलीज कर दिया गया था ।  ताकि दर्शक ये गाना से अंदाजा लगा सके की फ़िल्म कैसी हैं  अगर देखा जाए तो ये गाना फ़िल्म को लोकप्रिय बनने में कभी सफल रही हैं।

भोजपुरी फिल्मों की लोकप्रियता

  • भोजपुरी फ़िल्म देश के साथ - साथ विदेशो में भी लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी हैं इस प्रकार इन फिल्मों ने देश  ही नही विदेशो में भी भोजपुरी को प्रोत्साहित किया हैं । आज देश में मनोरजन का सर्वाधिक प्रालित साधन भोजपुरी फ़िल्म बन चुकी हैं देश के हर कोने में भोजपुरी फ़िल्म आ लोग देख रहे हैं और भोजपुरी फिल्मो की लोकप्रियता भी बढ़ी हैं  जब 1960 के दशक में पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी  भोजपुरी फ़िल्म बनाने के लिए कहा जिस वजह से 1963 में पहली फ़िल्म 'गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ईबो' बिसननाथ प्रसाद शाहाबादी ने निर्मित किया । भोजपुरी सिनेमा पहले की अपेक्षा बर्तमान में बहुत बदल गया हैं और साथ में भोजपुरी सिनेमा के चाहने वाले की संख्या बढ़ गया हैं। भोजपुरी, फ़िल्म के अभिनेता खेसारी लाल यादव ,पवन सिंह,दिनेशलाल यादव , रवि किशन , मनोज तिवारी, और अभिनेत्री, काजल राघवानी, अक्षरा सिंह , आम्रपाली दुबे  ऐसे फ़िल्म अभिनेता और अभिनेत्री के आगमन से भोजपुरी सिनेमा कभी लोकप्रिय हुआ हैं बर्तमान समय में भोजपुरी फिल्में भी अब अश्लीलता के परे फिल्मे बन रही हैं जिसे लोग देखना अधिक प्रसन्द कर रहे हैं । एक समय था जब भोजपुरी फिल्मों को लोकप्रिय बनने के लिए अश्लीलता का सहारा लिया लिया जाता था । भोजपुरी फ़िल्म को लोकप्रिय बनने में  सोशल मीडिया का भी बहुत बड़ा योगदान रहा हैं । यूट्यूब बहुत बड़ी भूमिका निभा रही रही हैं भोजपुरी फिल्मों को लोकप्रिय बनने में साथ मे फ़िल्म के गानों की भी बड़ी महत्ता होती हैं किसी फिल्म को लोकप्रिय बनने में और भोजपुरी फ़िल्म का क्षेत्र दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं । 

भारतीय सिनेमा

  कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है समाज की संस्कृति को बताने का एक माध्यम होता है समाज में बदलाव लाने का काम करता है वास्तव में स...