20 मार्च 2018

हमे कही मत ढूढ़ना ।

नीरज सिंह
आज सुबह उठा तो एक बड़ा ही दुःखद समाचार सुना कि बलिया के महान कवि और लेखक अब नहीं रहें । केदारनाथ जी को पढ़ कर मैंने कविताएं लिखनी शुरू की
बहुत कुछ सीखा हैं उनसे । दरअसल वो मरे नहीं हैं हमारे बीच मे हैं हमारे यूपी के हर नोजवान की सासों में हैं आप उन्हें महसूस कर सकते हैं
उनके ऊपर कुछ लाइन लिखी हैं 😞

हमें कही मत ढूंढना
न बलिया में, न बलिया की उन प्यारी-प्यारी सड़को पर
न ही खेतों में ,  न किसी बगीचों में
न उस छत जहाँ बैठ के पूरे जग को समझा !

मैं नही मिलूँगा तुम्हें बनारस के घाटों पे
न उन में बह रहे सीतल जलो में
न उस जल पर चल रही नाव में
न बनारस के हवाओं में
और न ही उड़ रही उस आवारा पंछी में !

हमें मत ढूंढना कहि
बलिया के स्टेशन पर
वहां बने हजारी प्रसाद जी के पुस्तकालय में
स्टेशन पर बैठें किसी गरीब माँ के आँचलो में
वहाँ जो पेड़ हैं उनके सूखे पत्तों पर !

बलिया से जो सड़क बिहार जाती हैं
उस पर नहीं मिलूँगा में
गंगा जी के तीरे नहीं बैठूंगा में
निमिया के गछिया पर
रस पीने नहीं आऊंगा में !

बलिया से बनारस इसके बीच नहीं आऊँगा में
गाजीपुर में जाकर कविताएं नहीं लिखूंगा में
फेफना में धान के खेतो में नहीं उगुगा में
औड़िहार के पकौड़ो नही चखने आऊँगा में
सारनाथ में घूमते नहीं दिखूंगा में
ट्रेन चले या न चले
बलिया से बनारस के बीच उनकी हवाओं में नहीं उड़ने आऊंगा में !

बोल देना मेरे चाहने वालों को
भूल जाए हमें
में अब न आ पाउँगा
में उन्हीं में अपने आप को  छोड़ के जा रहा हूँ
वो रोए न मुझे याद करके बोलना उन्हें
उनके आँसुओ में आऊंगा में .......।

19 मार्च 2018

महाराणा प्रताप की वीरता पर श्याम नारायण पांडेय की कविता

कविता पाठ- आकाश सिंह

जिससे मैंने प्यार किया ।- प्रभात

जिससे मैनें प्यार किया , वो प्यार नही एक सपना था
प्यार के बदले धोखा दिया , इंसान कहाँ वो अपना था
रह कर उसकी यादो में देखु ,उसकी  निगाहों को
रुका खड़ा हूँ उसी राह पर  जहाँ मुझे वह छोड़ गई
उसके प्यार में पड़ कर अपनी असलियत को  भूल गया
जिससे मैन प्यार किया , वो प्यार नही एक सपना था

तुम ही मुझके ऐसे मिले, कोई और नहीं  हैं तुम्हारे जैसा
उसने तोड़ दिया रिश्ता,  खुद को समझाना कैस
सच्चे प्यार में पड़कर जाना, इतना कहां मालूम था
जिससे मैनें प्यार किया , वो प्यार नही एक सपना था

गाता गाता चल पड़ा हूँ, तन्हाई ले ख्वाबों में
प्रेम से मैंने लिख दी है, दबी हुई भावनाओं को
तुमसे ही क्यों प्यार हुआ, दिल से इतना क्यों चाहा था-

23 फ़रवरी 2018

बलिदान


कुमुद सिंह

आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी रही होगी उस लड़की की जिसने उसे बिना सोचे समझे अपनी आगे की पूरी ज़िंदगी एक अधेड़ आदमी के साथ गुज़ारने पर बेबस कर दिया???????

क्या वो इतनी नादान रही होगी की उसे अपनी इच्छायें भी ज्ञात नहीं थीं या फिर उसके आगे ऐसे दो विकल्प रख दिए गए होंगे जो दो होकर भी एक ही हो(जैसा कि अकसर होता है) या फिर उस लड़की के घरवालों ने उसकी खुशियो का गला घोंट कर,उसके रूह को तड़पता छोड़ कर कुछ चंद रूपयों के लिए उसके तन का सौदा कर दिया होगा या फिर गरीबी और दहेजप्रथा के चंगुल से बचने के लिए उसे अपनी इच्छओं और खुशियो का बलिदान देना पड़ा होगा....
खैर, सच्चाई का तो इल्म मुझे नहीं है बस इतना कहूंगी की बलिदान सिर्फ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने ही नहीं दिया है बल्कि ये तो हर रोज़ दिया जा रहा है पूरे देश भर में हज़ारों लड़किओ द्वारा बस अन्तर इतना है कि उन्होंने देश में पनप रही बुराइयों को घुटने टिकाने के लिए तन का बलिदान दिया था और आज हम बुराइयों के आगे घुटने टेक कर मन का बलिदान देते है।
#बलिदान

मेरे पिता जी

लेखक - प्रभात
शीर्षक- मेरे पिता जी
वक्ता- प्रभात

19 फ़रवरी 2018

हिन्दू कोड बिल

मो गुफरान खान
सम्पर्क सूत्र   7054171363
             डॉ भीमराम आंबेडकर मिशन पर आहंग थिएटर ग्रुप द्वारा  नाटक हिन्दू कोड बिल  डॉ. हिरण्य हिमकर के निर्देशन और लेखन में 20-01-2018 को प्रस्तुत किया गया था अभी हालहिं में अश्मिता थिएटर ग्रुप ने भी हिन्दू कोड बिल नाटक का राकेश कुमार के निर्देशन में मंचन किया  मैंने दोनों नाटक को देखा आहंग द्वारा प्रस्तुत हिन्दू कोड बिल उस समय की बिडम्बनापुर्ण छुआछूत सामाजिक स्थिति को दर्शाता है  इस विषय को लेकर नाटक का ताना बाना बुना गया  एक तरफ महिलाओं शुद्रजाति पर ब्राह्मणों  धनी वर्ग वा सियासतदां द्वारा किए गए अत्याचार बिधवा पुनर विबाह वर्जित जैसी स्थिति को  2 घंटे के नाटक में बखूबी पेश किआ गया वहीं दूसरी ओर धर्म जाति समाज (खासतौर से महलाओं)रक्षा उसमे ऊर्जा भरने का काम किया  नाटक को गंभीर और काल्पनिक विषयवस्तु के साथ तथ्यात्मक  विचारात्मक और व्यंगग्यात्मक अभिव्यक्ति के बीच एक संतुलन में पेश किया गया ताकि बकैती न बन जाये पात्रों की संख्या अधिक होने के कारण एक दो कलाकारों को एक से अधिक भूमिका भी  निभानी पड़ी सभी कलाकारों ने पूरी मेहनत लगन से नाटक को सफल बनाने में जीजान लगा दी और अपने किरदार को बखूबी निभाया पूरा ऑडोटोरियम तालियों से गूंज उठा कलाकारों का मन उल्लास से भर दिया  नाटक अंत तक पहुँचते पहुँचते ऐसी स्थिति का भी परिणाम सामने आया सदन में बैठे लोगों की पलके नम गो गयी कुछ ऊँची जाति के लोग आके दलित समाज की महिलाओं के  साथ  बलात्कार करतें है उनको मरते  पीटते इनको घरों को बिरान कर देते हैं ऐसी स्थिति को भी नाटक में दर्शाया गया है वहीं मशहूर अश्मीता थिएटर ग्रुप का भी नाटक  हिन्दू कोड बिल देखने का सौभग्य प्राप्त हुआ नाटक राकेश कुमार जी के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया नाटक  के कंटेंट से ज़्यादा नाटक की प्रॉपर्टीज़ पर    ध्यान दिया गया महिलाओं और छुआछुत ऐसी स्थिति पर बल देने के बजाये नाटक में आंबेडकर जी के प्रेमप्रसंग पर ज़्यादा बल दिया गया  इक्का दुक्का छोटी छोटी घटनाओं को और इतहास का सहारा लेकर उसकी तारीख़ को ही प्रस्तुत किया गया                 

15 फ़रवरी 2018

लोग मुझे शराबी समझने लगे ।

नीरज सिंह
दिल्ली विश्वविद्यालय
हा मुझे लोग शराबी समझने लगे हैं क्योंकि !
क्योंकि मुझ से नहीं होता औरो की तरह झूठा प्रेम जताना !
नहीं आता मुझ एक शब्दों का अनेक भेद बताना !
नहीं आता मुझे ऐसे आँसू बहाना
जो सिर्फ मतलब पर निकलते हैं !
नहीं आता मुझे माँ से झूठ बोलना नहीं आता पिता जी से आँख लड़ाना !
नहीं आता वो कार्य जो एक समाज से हटके हो !
नहीं आती वो रात अब जो इस दिल को बेहलती हो !
नहीं गा पाता मैं गीत तराने
नहीं केह पाता झूठे फ़साने !
मूझे नहीं आती हैं अब हर वो चीजें करनी जो मतलबी हो ।
शायद इस लिए लोग मुझे शराबी समझने लगे हैं ........!

दीवाना

जयदीप कुमार
अब शिकायत तुझसे नही खुद से है,
मना तेरे सारे वादे झूठे थे,
उनपर यकीन तो मेरा सच्चा था
तुझसे गिला नही अब कोई ,अये दिलरुबा।
हम तो कल भी दीवाने थे आज भी दीवाने हैं

आज भी मोहब्बत किये जा रहा हूँ।

जयदीप कुमार

उसकी सूरत धडकनों में लिए जिये जा रहा हूँ
उसके हर शब्द को अमृत सा पीये जा रहा हू
वो चली गयी मुझे छोड़ कर
आज भी उसे मोहब्बत किये जा रहा हूँ.

13 फ़रवरी 2018

किसानों का मित्र माटी फाउंडेशन

जयदीप कुमार
दिल्ली विश्वविद्यालय

माटी फाउंडेशन ! जहाँ केचुए को किसान का सबसे अच्छा मित्र कहा गया हैं वही माटी फाउंडेशन भी किसानों का सबसे अच्छा मित्र साबित हो रहा हैं। माटी फाउंडेशन एक किसानों का एनजीओ हैं जो उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के अंतर्गत परशुरामपुर और तहसील धनघटा गाँवो के परिवारों के बेहतर जीवन को बढ़ाने और स्थायी सामाजिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है भारतीय ट्रस्ट अधिनियम के तहत पंजीकृत माटी फाउंडेशन लाभप्रद संगठन नहीं है जो आर्थिक स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने और उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में गरीबी की स्थिति से बाहर निकलने में लोगों की एकता के लिए खड़ा हैं और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं और किसानों प्रोत्साहित करता हैं
 माटी फाउंडेशन की टीम बीज इकाई का सर्वेक्षण करते हुए

माटी फाउंडेशन की महत्वपूर्ण चिंता हैं परिवारों का स्वास्थ्य ।फाउंडेशन का मानना हैं कि एक समाज का स्वास्थ्य प्रबंधन पौष्टिक भोजन की निरंतर आपूर्ति हैं । पौष्टिक भोजन की स्थानीय उपलब्धता एकीकृत कृषि पद्धति के साथ खेती को बेहतर बनाने पर निर्भर करती है जो पोषक तत्वों की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती हैं ।
 सरसों की खेती का अवलोकन करते हुए माटी फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ देवेंद्र जी के साथ हनुमान जी
माटी फाउंडेशन मिशन क्या हैं ? ( माटी फाउंडेसन के साईट से - http://www.maatee.org)
प्राकृतिक संसाधनों के न्यायसंगत और न्यायपूर्ण उपयोग के माध्यम से समाज के विकास की कार्य योजना होगी। प्रत्येक गांव के लिए जैवविविधता रजिस्ट्रीकरण करने के लिए हर तीन साल में ग्रामीण प्राकृतिक संसाधनों का आकलन और सूचीबद्ध किया जाएगा। परिवार के स्वास्थ्य और पोषण में सभी पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं को सूचीबद्ध करने की आवश्यकता सर्वोपरि है। ये ज्ञान पूल पंचायती राज प्रणाली में ज्ञान वाल्टों के रूप में संग्रहित किए जाएंगे। इन खजाने को सार्वजनिक भंडार में सुरक्षित किया जाएगा जिसमें सभी सुरक्षा विशेषताएं हैं।

भारतीय सिनेमा

  कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है समाज की संस्कृति को बताने का एक माध्यम होता है समाज में बदलाव लाने का काम करता है वास्तव में स...