22 फ़रवरी 2017

लोकजन स्वर : पर्यावरण और राजनीति

लोकजन स्वर : पर्यावरण और राजनीति: जयदीप कुमार  गंगा और यमुना नदी का प्रदूषण कोई नई बात नहीं हैंI लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में गंगा का सवाल उठाया ...

18 जनवरी 2017

सुबह से लेकर शाम तक

सुबह से लेकर शाम तक
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जब मै सुबह जगा ,
न जाने कैसा लगा ,
न नहाया न धोया ,
कॉलेज में खूब सोया ,
जब कॉलेज से निकला ,
एक लड़की देख पैर मेरा फिसला ,
कुछ दोस्तों के साथ सत्या पर पिया चाय ,
फिर दोस्तों को बोला बाय ,
मै करने लगा बस का इन्तजार ,
उस लड़की से कैसे करता इजहार ,
जैसे ही बस में चढ़ा ,
मै एक बन्दे से जा लड़ा ,
जब मैंने जेब पर हाथ फिराया ,
पता चला किसी ने मेरा फ़ोन है चुराया ,
मै पहुचा रूम पे और खूब खायाऔर खिलाया ,
चोरी की बात प्रभात भईया को बतलाया ,
अब उनके दिल में होने लगी होड़,
वो करने लगे भंडाफोड़ ,
लो हो गया काम तमाम ,
मेरे साथ बोलो जय सियाराम |


लेकिन आपको हँसाने का हुनर रखते है

आपके जख्मो को खरीदने का हुनर रखते है ,
आपके दर्द को मिटाने का हुनर रखते है ,
मेरे आँखों में भले आँसुओ का सागर हो ,
लेकिन आपको हँसाने का हुनर रखते है 

मोहब्बत किये जा रहा हूँ .

उसकी सूरत धडकनों में लिए जिये जा रहा हूँ ,
उसके हर शब्द को अमृत सा पीये जा रहा हू ,
वो चली गयी मुझे छोड़ कर ,

आज भी उसे मोहब्बत किये जा रहा हूँ .

मै तो उसकी परछाई में जीता हू

तू कहती है मै अपनी तन्हाई में जीता हू ,
मै कहता हू मै उसकी परछाई में जीता हू ,
वो तो हमे और ये दुनिया छोड़ कर चली गयी ,
लेकिन अपनी परछाई मेरे पास छोड़ गयी ,
कभी अकेला होता हू तो उस परछाई से बात कर लेता हू ,
अब कभी मत कहना कि मै तन्हाई में जीता हू ,

मै तो उसकी परछाई में जीता हू 

जिन्दगी

जिन्दगी सुनहरा तोहफा है, इसे भगवान की तरफ से कबूल कीजिये.

भारतीय सिनेमा

  कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है समाज की संस्कृति को बताने का एक माध्यम होता है समाज में बदलाव लाने का काम करता है वास्तव में स...