सुबह से लेकर शाम तक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सुबह से लेकर शाम तक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

18 जनवरी 2017

सुबह से लेकर शाम तक

सुबह से लेकर शाम तक
# # # # # # #
जब मै सुबह जगा ,
न जाने कैसा लगा ,
न नहाया न धोया ,
कॉलेज में खूब सोया ,
जब कॉलेज से निकला ,
एक लड़की देख पैर मेरा फिसला ,
कुछ दोस्तों के साथ सत्या पर पिया चाय ,
फिर दोस्तों को बोला बाय ,
मै करने लगा बस का इन्तजार ,
उस लड़की से कैसे करता इजहार ,
जैसे ही बस में चढ़ा ,
मै एक बन्दे से जा लड़ा ,
जब मैंने जेब पर हाथ फिराया ,
पता चला किसी ने मेरा फ़ोन है चुराया ,
मै पहुचा रूम पे और खूब खायाऔर खिलाया ,
चोरी की बात प्रभात भईया को बतलाया ,
अब उनके दिल में होने लगी होड़,
वो करने लगे भंडाफोड़ ,
लो हो गया काम तमाम ,
मेरे साथ बोलो जय सियाराम |


भारतीय सिनेमा

  कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है समाज की संस्कृति को बताने का एक माध्यम होता है समाज में बदलाव लाने का काम करता है वास्तव में स...