27 जनवरी 2021

फ़िल्म एक सामाजिक आईना हैं

समाज में फैली कुरीतियों को रोकने के लिए किसी ना किसी को आगे आना पड़ता है। जरूरी नहीं वह नेता ही हो। अगर अभिनेता भी अपने अभिनय के माध्यम से लोगों को जागरूक करे तो वह बदलाव ला सकता है। 

समय-समय पर सामाजिक बदलाव के साथ मनोरंजन के लिए फिल्में बनती रही हैं। किसी प्रकार का संदेश देने के लिए भी फिल्में बनाई जाती रही हैं।
अब तक हम बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों को याद करते रहे हैं। लेकिन अगर भारत में बात करें तो तेजी से लोकप्रिय हो रहे राज्य स्तरीय फिल्में या अलग-अलग भाषाई आधार पर बन रही फिल्में लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं। इसीलिए आजकल हम मराठी, हरियाणवी, पंजाबी, भोजपुरी आदि फिल्मों के नाम भी याद रखते हैं और उसे भी देख लेते हैं। ऐसा इसलिए सम्भव हो पाता है क्योंकि ज्यादातर ऐसी भाषाई फिल्मों को ग्लोबल स्तर पर लोग इसलिए देख लेते हैं क्योंकि उनके अनेक वर्जन बनाये जा रहे हैं। अगर साउथ इंडियन फ़िल्म है तो उसकी हिंदी में डब किया हुआ वर्जन भी लोगों के द्वारा देखा जाता है। यहां इसलिए इस पर चर्चा की जा रही हैं क्योंकि भाषा कहीं पर भी बाधा बनने ही नहीं पाती और केवल वहां की चीजों खासकर फिल्म के अभिनय, थीम, कहानी से लोग परिचित होना चाहते हैं। दिनोंदिन इन फिल्मों की  बढ़ती लोकप्रियता से इनका भी बड़े स्तर पर उद्द्योग स्थापित होना बड़ी बात नहीं है।
हम इन्हीं में से एक भोजपुरी फ़िल्म की बात करने जा रहे हैं।


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