12 फ़रवरी 2018

आखिर गलत क्या था

जयदीप कुमार
तुम्हारा घर बुलाना गलत था कि मेरा घर आना गलत था
अपने हाथों से खिलना था या तुमसे मोहब्बत करना गलत था
दूर जाते समय गले लगाना गलत था या आखो में आंसू छिपना गलत था
तुम्हारा नारज होना गलत था या मेरा मानना गलत था।
आखिर गलत क्या था ?

अपना दिल बहला कर देख लिया ।

जयदीप कुमार
क्या तुमने हमें आजमाकर देख लिया,
इक धोखा हमने भी खा कर देख लिया.
क्या हुआ हम हुए जो उदास,
उन्होंने तो अपना दिल बहला के देख लिया
    

आत्महत्या

जयदीप कुमार
लोग कहते हैं कि जो आत्महत्या करते है ओ वेवकूफ होते हैं पर ऐसा नही होता कोई भी मरना नही चाहता लेकिन
जब कोई बात किसी व्यक्ति की अंतरात्मा को छू जाती हैं तो वहीं से एक उत्तेजना उत्पन्न होती हैं जो सोचने और समझने की शक्ति को खत्म कर देता हैं।

सपना डांसर बनने का ।

जयदीप कुमार
बचपन से एक सपना था कि डांसर बनू इसी वजह से मैं वाराणसी में  डांस क्लास लेने लगा  लेकिन कुछ समय बाद मेरे सेहत में काफी गिरावट आने लगी।उसी समय मुझे पीलिया हो गया जिसके वजह से मैं जिला अस्पताल में मुझे एडमिट होना पड़ा जिसके वजह से मुझे काफी समय तक डांस से दूर रहना पड़ा। ठीक हो कर पुनः वाराणसी गया लेकिन डांस क्लास नही ले सका। इसी बीच मेरा एडमिशन दिल्ली विश्वविद्यालय में हो गया यहाँ पर सोचा कि कॉलेज की डांस सोसाइटी ले कर डांस सीखूंगा लेकिन जब तक मुझे डांस सोसाइटी के बारे में पता चला उससे पहले डांस का ऑडिसन हो चुका था। इस वजह से मैं डांस में तो नही हो सका लेकिन साउथ कैम्पस में ड्रामा करने लगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग - अलग कॉलेज में ड्रामा करने बाद फिर डांस वाली लाइन पर आ गया।साल बीत गया एक बार फिर से कॉलेज की डांस सोसाइटी में जाने का मौका आ गया ।अब क्या था डांस तो छूट चुकी थीं तो डांस का ऑडिशन कैसे देता तो इस लिए डांस का क्लास फिर लेने लगा ताकि डांस में मेरा सलेक्शन हो जाये। ऑडिसन हुआ मैं भी ऑडिसन देने गया जब ऑडिसन का रिजेल्ट आया तो उसमें सबसे नीचे मेरा भी नाम था। अब तो कॉलेज की डांस सोसाइटी में हो गया था तो जो मैं डांस क्लास ले रहा था उसको बन्द कर दिया।अब कॉलेज की डांस सोसाइटी में डांस कर और सीख रहा हूँ।

11 फ़रवरी 2018


कुमुद सिंह

हाउसवाइफ....सुनने में कितना साधारण लगता है ना ये शब्द और सुनने में ही क्यों..काफी लोग बल्कि पूरे पुरुष समाज में इसे साधारण ही समझा जाता है बल्कि साधारण भी नही अति साधारण।
हँसी आती है पुरुषों को यह कहते सुनकर की अरे तुम दिनभर करती ही क्या हो,घर पर ही तो रहना है आराम से।
हा हा हा..आराम से!यह शब्द सुनकर गुस्सा नही आता है बल्कि ऐसे सोच वाले लोगो पर दया आती है कि अभी तक किसी की सोच शिशु के भाँति ही है थोड़ा भी विकास नही हुआ। सच मे काफी दयनीय स्तिथि है पुरूषों की समाज मे।
कुछ दिनों से मैं सपना चमड़िया की एक किताब 'रोज वाली स्त्री' पढ़ रही हूँ।उसमें उन्होंने एक हाउसवाइफ के पूरे जीवन को बखूबी शब्दो मे उतार दिया है पर सवाल यह है कि क्या यह मालिको की कथित समाज मे बेगार हाउसवाइफ की कठिन और दूसरो के लिए समर्पित ज़िन्दगी को समझने हेतु विकसित मानसिकता है??
नहीं... वो तो अभी शिशु है..विकास आने में तो अभी काफी समय है..
#शिशु

कुमुद सिंह

हाउसवाइफ....सुनने में कितना साधारण लगता है ना ये शब्द और सुनने में ही क्यों..काफी लोग बल्कि पूरे पुरुष समाज में इसे साधारण ही समझा जाता है बल्कि साधारण भी नही अति साधारण।
हँसी आती है पुरुषों को यह कहते सुनकर की अरे तुम दिनभर करती ही क्या हो,घर पर ही तो रहना है आराम से।
हा हा हा..आराम से!यह शब्द सुनकर गुस्सा नही आता है बल्कि ऐसे सोच वाले लोगो पर दया आती है कि अभी तक किसी की सोच शिशु के भाँति ही है थोड़ा भी विकास नही हुआ। सच मे काफी दयनीय स्तिथि है पुरूषों की समाज मे।
कुछ दिनों से मैं सपना चमड़िया की एक किताब 'रोज वाली स्त्री' पढ़ रही हूँ।उसमें उन्होंने एक हाउसवाइफ के पूरे जीवन को बखूबी शब्दो मे उतार दिया है पर सवाल यह है कि क्या यह मालिको की कथित समाज मे बेगार हाउसवाइफ की कठिन और दूसरो के लिए समर्पित ज़िन्दगी को समझने हेतु विकसित मानसिकता है??
नहीं... वो तो अभी शिशु है..विकास आने में तो अभी काफी समय है..
#शिशु

22 फ़रवरी 2017

लोकजन स्वर : पर्यावरण और राजनीति

लोकजन स्वर : पर्यावरण और राजनीति: जयदीप कुमार  गंगा और यमुना नदी का प्रदूषण कोई नई बात नहीं हैंI लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में गंगा का सवाल उठाया ...

18 जनवरी 2017

सुबह से लेकर शाम तक

सुबह से लेकर शाम तक
# # # # # # #
जब मै सुबह जगा ,
न जाने कैसा लगा ,
न नहाया न धोया ,
कॉलेज में खूब सोया ,
जब कॉलेज से निकला ,
एक लड़की देख पैर मेरा फिसला ,
कुछ दोस्तों के साथ सत्या पर पिया चाय ,
फिर दोस्तों को बोला बाय ,
मै करने लगा बस का इन्तजार ,
उस लड़की से कैसे करता इजहार ,
जैसे ही बस में चढ़ा ,
मै एक बन्दे से जा लड़ा ,
जब मैंने जेब पर हाथ फिराया ,
पता चला किसी ने मेरा फ़ोन है चुराया ,
मै पहुचा रूम पे और खूब खायाऔर खिलाया ,
चोरी की बात प्रभात भईया को बतलाया ,
अब उनके दिल में होने लगी होड़,
वो करने लगे भंडाफोड़ ,
लो हो गया काम तमाम ,
मेरे साथ बोलो जय सियाराम |


लेकिन आपको हँसाने का हुनर रखते है

आपके जख्मो को खरीदने का हुनर रखते है ,
आपके दर्द को मिटाने का हुनर रखते है ,
मेरे आँखों में भले आँसुओ का सागर हो ,
लेकिन आपको हँसाने का हुनर रखते है 

मोहब्बत किये जा रहा हूँ .

उसकी सूरत धडकनों में लिए जिये जा रहा हूँ ,
उसके हर शब्द को अमृत सा पीये जा रहा हू ,
वो चली गयी मुझे छोड़ कर ,

आज भी उसे मोहब्बत किये जा रहा हूँ .

मै तो उसकी परछाई में जीता हू

तू कहती है मै अपनी तन्हाई में जीता हू ,
मै कहता हू मै उसकी परछाई में जीता हू ,
वो तो हमे और ये दुनिया छोड़ कर चली गयी ,
लेकिन अपनी परछाई मेरे पास छोड़ गयी ,
कभी अकेला होता हू तो उस परछाई से बात कर लेता हू ,
अब कभी मत कहना कि मै तन्हाई में जीता हू ,

मै तो उसकी परछाई में जीता हू 

जिन्दगी

जिन्दगी सुनहरा तोहफा है, इसे भगवान की तरफ से कबूल कीजिये.

भारतीय सिनेमा

  कहा जाता है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है समाज की संस्कृति को बताने का एक माध्यम होता है समाज में बदलाव लाने का काम करता है वास्तव में स...