मो गुफरान खान
सम्पर्क सूत्र 7054171363
डॉ भीमराम आंबेडकर मिशन पर आहंग थिएटर ग्रुप द्वारा नाटक हिन्दू कोड बिल डॉ. हिरण्य हिमकर के निर्देशन और लेखन में 20-01-2018 को प्रस्तुत किया गया था अभी हालहिं में अश्मिता थिएटर ग्रुप ने भी हिन्दू कोड बिल नाटक का राकेश कुमार के निर्देशन में मंचन किया मैंने दोनों नाटक को देखा आहंग द्वारा प्रस्तुत हिन्दू कोड बिल उस समय की बिडम्बनापुर्ण छुआछूत सामाजिक स्थिति को दर्शाता है इस विषय को लेकर नाटक का ताना बाना बुना गया एक तरफ महिलाओं शुद्रजाति पर ब्राह्मणों धनी वर्ग वा सियासतदां द्वारा किए गए अत्याचार बिधवा पुनर विबाह वर्जित जैसी स्थिति को 2 घंटे के नाटक में बखूबी पेश किआ गया वहीं दूसरी ओर धर्म जाति समाज (खासतौर से महलाओं)रक्षा उसमे ऊर्जा भरने का काम किया नाटक को गंभीर और काल्पनिक विषयवस्तु के साथ तथ्यात्मक विचारात्मक और व्यंगग्यात्मक अभिव्यक्ति के बीच एक संतुलन में पेश किया गया ताकि बकैती न बन जाये पात्रों की संख्या अधिक होने के कारण एक दो कलाकारों को एक से अधिक भूमिका भी निभानी पड़ी सभी कलाकारों ने पूरी मेहनत लगन से नाटक को सफल बनाने में जीजान लगा दी और अपने किरदार को बखूबी निभाया पूरा ऑडोटोरियम तालियों से गूंज उठा कलाकारों का मन उल्लास से भर दिया नाटक अंत तक पहुँचते पहुँचते ऐसी स्थिति का भी परिणाम सामने आया सदन में बैठे लोगों की पलके नम गो गयी कुछ ऊँची जाति के लोग आके दलित समाज की महिलाओं के साथ बलात्कार करतें है उनको मरते पीटते इनको घरों को बिरान कर देते हैं ऐसी स्थिति को भी नाटक में दर्शाया गया है वहीं मशहूर अश्मीता थिएटर ग्रुप का भी नाटक हिन्दू कोड बिल देखने का सौभग्य प्राप्त हुआ नाटक राकेश कुमार जी के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया नाटक के कंटेंट से ज़्यादा नाटक की प्रॉपर्टीज़ पर ध्यान दिया गया महिलाओं और छुआछुत ऐसी स्थिति पर बल देने के बजाये नाटक में आंबेडकर जी के प्रेमप्रसंग पर ज़्यादा बल दिया गया इक्का दुक्का छोटी छोटी घटनाओं को और इतहास का सहारा लेकर उसकी तारीख़ को ही प्रस्तुत किया गया
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डॉ भीमराम आंबेडकर मिशन पर आहंग थिएटर ग्रुप द्वारा नाटक हिन्दू कोड बिल डॉ. हिरण्य हिमकर के निर्देशन और लेखन में 20-01-2018 को प्रस्तुत किया गया था अभी हालहिं में अश्मिता थिएटर ग्रुप ने भी हिन्दू कोड बिल नाटक का राकेश कुमार के निर्देशन में मंचन किया मैंने दोनों नाटक को देखा आहंग द्वारा प्रस्तुत हिन्दू कोड बिल उस समय की बिडम्बनापुर्ण छुआछूत सामाजिक स्थिति को दर्शाता है इस विषय को लेकर नाटक का ताना बाना बुना गया एक तरफ महिलाओं शुद्रजाति पर ब्राह्मणों धनी वर्ग वा सियासतदां द्वारा किए गए अत्याचार बिधवा पुनर विबाह वर्जित जैसी स्थिति को 2 घंटे के नाटक में बखूबी पेश किआ गया वहीं दूसरी ओर धर्म जाति समाज (खासतौर से महलाओं)रक्षा उसमे ऊर्जा भरने का काम किया नाटक को गंभीर और काल्पनिक विषयवस्तु के साथ तथ्यात्मक विचारात्मक और व्यंगग्यात्मक अभिव्यक्ति के बीच एक संतुलन में पेश किया गया ताकि बकैती न बन जाये पात्रों की संख्या अधिक होने के कारण एक दो कलाकारों को एक से अधिक भूमिका भी निभानी पड़ी सभी कलाकारों ने पूरी मेहनत लगन से नाटक को सफल बनाने में जीजान लगा दी और अपने किरदार को बखूबी निभाया पूरा ऑडोटोरियम तालियों से गूंज उठा कलाकारों का मन उल्लास से भर दिया नाटक अंत तक पहुँचते पहुँचते ऐसी स्थिति का भी परिणाम सामने आया सदन में बैठे लोगों की पलके नम गो गयी कुछ ऊँची जाति के लोग आके दलित समाज की महिलाओं के साथ बलात्कार करतें है उनको मरते पीटते इनको घरों को बिरान कर देते हैं ऐसी स्थिति को भी नाटक में दर्शाया गया है वहीं मशहूर अश्मीता थिएटर ग्रुप का भी नाटक हिन्दू कोड बिल देखने का सौभग्य प्राप्त हुआ नाटक राकेश कुमार जी के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया नाटक के कंटेंट से ज़्यादा नाटक की प्रॉपर्टीज़ पर ध्यान दिया गया महिलाओं और छुआछुत ऐसी स्थिति पर बल देने के बजाये नाटक में आंबेडकर जी के प्रेमप्रसंग पर ज़्यादा बल दिया गया इक्का दुक्का छोटी छोटी घटनाओं को और इतहास का सहारा लेकर उसकी तारीख़ को ही प्रस्तुत किया गया
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